
रायगढ़। छठ आस्था का अपमान करने वाले आरोपी टिल्लू शर्मा के खिलाफ रायगढ़ में उबाल कम नहीं हो रहा, बल्कि और तीखा होता जा रहा है। एफआईआर दर्ज होने के बाद भी आरोपी के न पकड़े जाने से लोग नाराज़ हैं और शहर में यह भाव खुलकर सामने आ रहा है कि “अब समाज किसी भी कीमत पर अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा।” पुलिस ने टीम गठित की है, लेकिन जनदबाव साफ कह रहा है कि अब सिर्फ कागज़ी कार्रवाई नहीं — गिरफ्तारी ही भरोसे का प्रमाण होगी।
सोमवार को शहर के कई इलाकों में श्रद्धालुओं और सामाजिक प्रतिनिधियों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर आस्था का मजाक उड़ाना किसी भी तरह स्वीकार्य नहीं। भीड़ का स्वर साफ था — “यदि कानून तेज़ी नहीं दिखाएगा, तो समाज को आवाज उठानी पड़ेगी। यह सिर्फ एक व्यक्ति का अपमान नहीं, विश्वास, संस्कृति और आस्था पर प्रहार है।”
लोगों का कहना है कि पहले रायपुर में आस्था पर चोट हुई और आरोपी आज भी कानून की पकड़ से बाहर है। यही कमजोरी रायगढ़ में टिल्लू और विजय राजपूत जैसे तत्वों के हौसले बढ़ाने का कारण बनी। रायगढ़ वासियों ने चेतावनी दी है कि अब ऐसा माहौल नहीं बनने दिया जाएगा जहाँ धर्म और परंपराओं का अपमान ‘मनोरंजन’ या ‘बयानबाज़ी’ के रूप में पेश हो।
शहर में माहौल स्पष्ट है — आस्था के सम्मान का प्रश्न अब सिर्फ भावनात्मक नहीं, सामाजिक शुचिता और सार्वजनिक अनुशासन का प्रश्न है। पुलिस अधिकारी कहते हैं कि आरोपी की लोकेशन ट्रैक की जा रही है और उसे जल्द पकड़ा जाएगा। दूसरी ओर समाज यह संदेश दे चुका है कि धार्मिक मर्यादा पर प्रहार करने वालों के लिए न पुलिस नरमी दिखाएगी न समाज।
जनता की आवाज़ अब निर्णायक है — “आस्था के साथ खिलवाड़ का युग खत्म। अब कानून भी बोलेगा और समाज भी।”
एडिटोरियल लाइन आस्था कोई खेल नहीं। जो इसे चोट समझते हैं, वे भूल रहे हैं कि समाज अब साइलेंट मोड में नहीं, जवाब-देह मोड में है।














